Friday, February 12, 2010

शेर की बिल्ली हो गयी ?

राहूल गांधी को काले झंडे दिखाने का आदेश शिवसेना सुप्रिमों बाल ठाकरे ने दिया और उनके आदेश को सर माथे पर लेकर शिवसैनिक गली कुंचे से निकलकर काले झंडे दिखाने के लिए कुछ हद तक सामने भी आए लेकिन बाईस हजार पुलिस कर्मीयों ने उनके प्लॅन को फेल कर दिया, उनके आंदोलन की हवा ही निकाल डाली। साथ ही कांग्रेस कार्यकर्तोओं ने रास्ते पर उतर कर उनका सामना करने के लिए कमर कस ली । शायद ये नजारा मुंबई हमले के वक्त देखने मिलता तो आज नजारा ही कुछ और होता ना ही मुंबई पुलिस के जाबांज शहीद होते और नाही एन.एस.जी के कमांडो जिन्हे मुंबई के लिए निकलने की आज्ञा हमले के दस घंटे बाद दी गयी। राहूल गांधी के मुंबई के सफल दौरे के बाद कार्यकारी अध्यक्ष ने आनन फानन में प्रेस कॉन्फरन्स लेकर ये साबित कर दिया की राहूल गांधी को उनके वजह से हवाई यात्रा छोडकर रेल का सफर तय करना पडा हालांकि सच्चाई सभी को पता है। शाहरूख खान के बयान पर शिवसेना ने आक्रमक रूख अख्तियार तो कर लिया लेकिन विरोध फिल्म को करे या शाहरूख को इस संभ्रम में शिवसेना गुमराह हो गयी । हालांकि खेल और कला को इस विवाद में लाना समझदारी नही थी। लेकिन मुंबई आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तानी साजीश से सारा देश आहत हूआ है, ऐसें में पाकिस्तान खिलाडीयों को आयपीएल में खिलाने का विरोध शिवसेना ने जताया। राज्यसरकार ने शाहरूख को सुरक्षा देने का वादा किया । मुंबई लौटकर शाहरूख ने बालासाहब से मिलने का इच्छा भी जाहीर की और अपने बयान पर कायम रहे। शिवसेना का यह मिशन भी फेल हो गया। ऑस्ट्रेलिया में भारतीयो पर हो रहे वंशवाद के हमले की वजह से कई भारतीय छात्रों पर जान पर बन आयी है। हमले अभीभी बरकरार है, केंद्र सरकार ऑस्ट्रेलियन सरकार से चर्चा करके भारतीयों पर हो रहे हमले को रोकने की कोशीश में है। क्या प्रांतवाद ने वहां भी अपने जडे जमा ली है। स्थानिक ऑस्ट्रेलियन भारतीयों के आने से असुरक्षीत है ।शिवसेना ने इस बात का विरोध जताते हूए ऑस्ट्रेलियन खिलाडीयों को मुंबई में आने से विरोध जताया है। लेकीन केंद्रीय कृषीमंत्री श्री शरद पवार बीच बचाव करने आगे आये है। शिवसेना प्रमुख से चर्चा करके इस बात पर हल निकालने की पहल की ही। देश में मंहगाई बढती जा रही है, शक्कर की मिठास मुंह से निकल गयी हा वहीं रा्ष्ट्रवादी के मॅग्झीन में यह कहा गया है की शक्कर नही खाने से कोई मर नही जाएगा। डव साबून का और शक्कर का दाम एक जैसा है, लेकिन उसके बारे में कोई आवाज नही उठाता । रा्ष्ट्रवादी को यह शायद पता होगा की दो वक्त की रोटी का जुगाड करनेवाला इंसान डव साबून या इत्त्तर का इस्तेमाल नही करता। चाय में शक्कर की मिठास तो जाती रही अब रंग भी फिका हो गया। लेकिन खेल से सभी को प्यार है चाहे वो ऑस्ट्रेलियन खिलाडी हो या पाकिस्तानी सभी को पसंद किया जाता है। पवार जी ने कल महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कहा था की अब बालासाहब की उम्र हो चुकी है, विरोध करके क्या करेंगें बच्चों को खेलने दिजीए, मै उनसे मिलकर उनको समझाउंगा। चर्चा के बाद अब शिवसेना यह तय करेगी की खिलाडीयों को विरोध करना है या नही। यह आंदोलन भी खटाई में जाता रहा। क्या शिवसेना का पावर कम हो रहा है, या मराठी –गैर मराठी विवाद का विभाजन ठाकरे परिवार में होने की वजह से शिवसेना की राह पर चले या मनसे का हात थामे इस दुविधा में मराठी माणुस है। कौन दिलवाएगा भूमिपुत्रों को न्याय।भूमिपुत्रों को न्याय दिलवाने के लिए साठ साल पहले जो शिवसेना शेर की तरह दहाडा करती थी अब वो मिमियाने लगी है। बॅकफूट पर जाने लगी है। बालासाहब ठाकरे की फिरसे एन्ट्री ने मुंबई महापालिका चुनाव मे बाजी मार ली क्या फिरसे उन्हे सक्रिय राजनिती में उतरकर दहाडना होगा। शिवसेना का वजूद दिखाना होगा।

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